दाने-दाने पे लिखा है खाने वाले का नाम

पिता जी ने सामान के लिए जो रुपये दिए थे उसमे से कुछ रुपये बच रहे थे । बचे हुए रुपये का क्या करना था, इसका हिसाब मैंने पहले ही लगा लिया था । पिता ने सौ का नोट देकर, दो किलो शक्कर लाने का आदेश दिया था । शक्कर का भाव है पैतीस रुपये किलो और नोट दिया गया है सौ का, तो दो किलो शक्कर लेने पर तीस रूपये बचेंगे जिसका उपयोग छोले-कुलचे खाने में किया जायेगा , ये मन में तय कर लिया गया।

पहले कुलचे खायेगे फिर राशन वाले से शक्कर लेंगे। तीस रुपए की प्लेट में तीन कुलचे और दोना भर छोले आते है । वक्त सुबह-सुबह का था । भैया बस पांच मिनट रुकिए अभी बनता हूँ , ठेले वाले ने कहा । गर्म होते छोले और घी में सिकते कुलचे देख आज ‘मुँह में पानी आना’ वाले मुहावरे का सही अर्थ समझ आ रहा था । ‘जरा जल्दी कर दो, सामान लेकर घर भी जाना है ‘ मैंने कहा । ‘बस हो गया , ये लीजिये ‘ कहते हुए उसने प्लेट थमाई ।

‘कुलचे खिला दीजिये ना ।’ थोड़ा अलग लगा कयोकि किसी ने पैसा न मांगकर खाने के लिए कुछ माँगा था , पर जेब में सत्तर रूपए ही थे जिसमे दो किलो शक्कर लेनी थी ।

दाने-दाने पे लिखा है खाने वाले का नाम

इंसानी बुद्धि भले एकाउंट्स समझती हो पर दिल तो केवल हुमिनिटीज विषय को समझता है । मैंने अपने प्लेट में बचे हुए आधे छोले रखे और उसे दे दिए, जिसे वह बारे चाव से खाने लगा । मैंने आधा बचा कुलचा समाप्त किया और पैसे देले वाले वाले को दिए तो उसके मुँह से अनायास ही निकल पड़ा, ‘दाने-दाने पे लिखा है , खाने वाले का नाम’ चेहरे पर एक मुस्कराहट लिए मै भी आगे बढ़ चला । राशन की दुकान से शक्कर लेने रुका, ‘दो किलो शक्कर देना ।’ ‘हा जी कितने देने है ?’ जबाब आया साठ रूपये । ‘अरे वह भाव काम हो गया क्या ? ‘हा पिछले हप्ते ही हुआ है ‘उतर मिला ।

दस रूपये बच गए थे, जिसमे दो अतरिक्त कुलचे लिए जा सकते थे, यह सोच इन्हे सुरच्छित रख लिया की अगली बार जब कुलचे -छोले खायेगे तो दो कुचले ज्यादा ले लेंगे । राशन की दुकान से घर तक के रास्ते में एक दिन पूर्ब देखे एक वीडियो की कुछ पंक्तिया बार-बार मन में कौंध रही थी जो इस प्रकार थी की ‘श्री कृष्ण ने गीता में कहा है आप जितना देते है , उसमे कई ज्यादा और शीघ्र ही आपको मिलता है ।

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